by Admin on 2025-06-23 04:09:52
प्रेमनगर। ग्राम पंचायत तारा, जनपद पंचायत प्रेमनगर, जिला सूरजपुर, छत्तीसगढ़—एक ऐसा क्षेत्र जहां प्रकृति की गोद में बसे गांव और मेहनतकश किसानों की आजीविका अब कॉरपोरेट हितों की भेंट चढ़ रही है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, जिसके तहत परसा ईस्ट-केते बासेन (PKEB) कोयला खदान का संचालन अडानी समूह द्वारा सरगुजा जिले के उदयपुर विकास खंड में किया जा रहा है, जो चंद दूरी पर है। माइंस ने एक बार फिर अपनी दबंगई और अभद्रता का परिचय दिया है। यह कंपनी, जो कथित तौर पर "विकास" का ढोल पीटती है, अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसानों और सरकारी अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए सुर्खियों में है।
बीते 4 जून 2025 को ग्राम पंचायत तारा में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उद्यान और कृषि विभाग, प्रेमनगर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को खेती-किसानी के नवीन तरीकों से अवगत कराना था। यह आयोजन तारा बस स्टैंड के समीप उस शेड में हुआ, जो राजस्थान विद्युत लिमिटेड ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) मद के तहत बनवाया था। इस शेड को ग्राम विकास के लिए बनाया गया था, न कि कंपनी की निजी संपत्ति के रूप में।
कार्यक्रम में 6 ग्राम पंचायतों—तारा, मेंड्रा, अभयपुर, जनार्दनपुर, कांटा, और रोली—के सरपंच, जनप्रतिनिधि, किसान, और सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। लेकिन इस सौहार्दपूर्ण माहौल को PKEB माइंस की कर्मचारी मौसमी विश्वास ने अपनी अभद्रता से मटियामेट कर दिया। मौसमी ने न केवल कृषि विभाग की एक महिला अधिकारी के साथ बदतमीजी की, बल्कि उपस्थित किसानों और जनप्रतिनिधियों की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई। उनका बयान, "यह शेड हमारा है, आप लोग यहाँ सुंदर दिख रहे हैं, इसलिए कार्यक्रम कर रहे हैं," निंदनीय और कॉरपोरेट अहंकार का प्रतीक है।
जब सरपंचों और जनपद सदस्यों ने इस अभद्र व्यवहार का विरोध किया, तो मौसमी ने उनकी बात को अनसुना कर उनसे भी बदसलूकी की। यह घटना उस कॉरपोरेट मानसिकता को उजागर करती है, जो ग्रामीणों को अपनी जागीर और सार्वजनिक संसाधनों को अपनी निजी संपत्ति मानती है।
इस घटना ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। जनपद सदस्य श्रीमती मुन्नी बाई उइके (क्षेत्र क्र. 06) ने इस दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की और स्पष्ट शब्दों में कहा, "यह शेड CSR के तहत ग्राम विकास के लिए बनाया गया है, न कि कंपनी की निजी संपत्ति। गांव की सार्वजनिक संपत्ति पर अधिकार जताना पूरी तरह अनुचित है।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की हरकतें दोहराई गईं, तो ग्रामीण और जनप्रतिनिधि मिलकर व्यापक जनआंदोलन करेंगे।
तारा, मेंड्रा, अभयपुर, जनार्दनपुर, कांटा, और रोली ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने संयुक्त रूप से इस घटना पर आपत्ति दर्ज की और कंपनी से सार्वजनिक माफी की मांग की है। यह मांग न केवल उचित है, बल्कि यह उस कॉरपोरेट जवाबदेही की मांग है, जिसका दावा ये कंपनियां अक्सर करती हैं।
राजस्थान विद्युत लिमिटेड और अडानी माइंस द्वारा संचालित PKEB खदान का इतिहास विवादों से भरा रहा है। पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी, स्थानीय समुदायों की उपेक्षा, और जबरन जमीन अधिग्रहण जैसे आरोप इस कंपनी पर पहले भी लग चुके हैं। CSR के नाम पर बनाए गए शेड जैसे ढांचों को कंपनी द्वारा अपनी "उपलब्धि" के रूप में प्रचारित किया जाता है, लेकिन जब यही शेड गांव के हित में इस्तेमाल होता है, तो कंपनी का असली चेहरा सामने आ जाता है।
CSR का मतलब कॉरपोरेट्स के लिए केवल टैक्स बचाने या अपनी छवि चमकाने का जरिया बनकर रह गया है। तारा गांव में बने शेड का इस्तेमाल ग्रामीणों के लिए होना चाहिए, न कि कंपनी के लिए।
यह घटना केवल एक कर्मचारी की बदतमीजी तक सीमित नहीं है। यह उस बड़े सवाल को जन्म देती है कि क्या कॉरपोरेट्स को ग्रामीण भारत में इस तरह की दबंगई करने की खुली छूट मिल गई है? क्या सरकारें और प्रशासन इन कंपनियों के सामने इतने लाचार हैं कि वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और किसानों के अपमान को चुपचाप देखते रहें?
तारा गांव की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कॉरपोरेट्स की मनमानी के खिलाफ एकजुटता और संगठित विरोध ही एकमात्र रास्ता है। जनपद सदस्य श्रीमती मुन्नी बाई उइके और 6 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने जो आंदोलन की चेतावनी दी है, वह एक शुरुआत है। यह आंदोलन केवल तारा गांव तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन सभी क्षेत्रों में फैलना चाहिए जहां कॉरपोरेट्स की मनमानी ग्रामीणों की आजीविका और सम्मान को कुचल रही है।
राजस्थान विद्युत लिमिटेड और PKEB माइंस को न केवल सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए, साथ ही, CSR के तहत किए गए कार्यों का पारदर्शी ऑडिट होना चाहिए, और ये आडिट सार्वजनिक भी करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो कि ये संसाधन वास्तव में ग्रामीणों के हित में उपयोग हो रहे हैं।
राजस्थान विद्युत लिमिटेड (अडानी माइंस) की यह हरकत एक बार फिर साबित करती है कि कॉरपोरेट्स के लिए मुनाफा ही सर्वोपरि है, और ग्रामीणों की भावनाएं उनके लिए मायने नहीं रखतीं। लेकिन तारा गांव के किसानों और जनप्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि वे इस अन्याय को चुपचाप सहन नहीं करेंगे।