by Admin on 2025-06-18 04:24:39
चंद्र प्रकाश साहू
सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में सुशासन और पारदर्शिता का संकल्प लिया है, जिसके तहत किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। उनकी सरकार किसानों के हित में योजनाओं को लागू करने और उन्हें सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री साय का विजन है कि प्रदेश का हर किसान न केवल बेहतर फसल उत्पादन करे, बल्कि उसे अपनी मेहनत का उचित मूल्य भी मिले। लेकिन सूरजपुर जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही इस सुशासन के मंसूबों पर काला धब्बा लगा रही है। कृषि विभाग की उदासीनता और अनियमितताओं का बोलबाला इस कदर है कि किसान हाईब्रिड धान के नाम पर ठगी का शिकार हो रहे हैं, और उनकी जिंदगी भर की पूंजी खतरे में पड़ रही है।
भ्रष्टाचार की जड़ें सूरजपुर जिले में गहरे तक फैल चुकी हैं। चौक-चौराहों, पान की गुमटियों और चाय की दुकानों तक में अवैध रूप से घटिया और गुणवत्ताहीन धान बीज बेचे जा रहे हैं। दुकानदार किसानों से मोटी रकम वसूल कर उनकी एक साल की मेहनत और अनाज के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस वर्ष मानसून ने निर्धारित समय से पहले छत्तीसगढ़ में दस्तक दी, और रिमझिम बारिश ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी। धान की फसल और सरकार के समर्थन मूल्य का लाभ उठाने के लिए किसान अधिक उत्पादन की उम्मीद में हाईब्रिड धान बीजों का उपयोग करना पसंद कर रहे हैं। लेकिन भोले-भाले किसानों को लूटने के लिए दुकानदार गुणवत्ताहीन और लोकल बीजों को ब्रांडेड कंपनियों के थैलों में भरकर ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं।
कृषि विभाग सूरजपुर के आंकड़ों के मुताबिक, जिले भर में दुकानों को धान बीज बेचने की अनुमति दी गई है जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। सूरजपुर जिला मुख्यालय, रामानुजनगर, प्रेमनगर और अन्य विकासखंडों में बिना अनुमति के पान की गुमटियों, चाय की दुकानों और छोटे-मोटे ठेलों पर धान बीज और कीटनाशकों की खुलेआम बिक्री हो रही है। ये दुकानदार घटिया किस्म के बीजों को "उच्च गुणवत्ता" बताकर किसानों को ठग रहे हैं। कई किसानों ने बताया कि वे हर साल नए-नए कंपनियों के बीज खरीदते हैं और दुकानदारों व आसपास के लोगों के सुझाव पर बीज का चयन करते हैं। कुछ किसानों ने शिकायत की कि पिछले साल खरीदे गए बीज बिल्कुल नहीं उगे। दुकानदारों से शिकायत करने पर जवाब मिला, "बीज ऊपर से आया था, हमने तो घर पर नहीं बनाया।" इससे दुकानदार आसानी से अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। कई छोटे किसानों की फसल खराब हो गई, लेकिन बिना बिल या दस्तावेज के वे शिकायत दर्ज नहीं करा सके।
पड़ताल में पाया गया कि इस साल धान बीज की कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में काफी बढ़ गई हैं। दुकानदार न तो पक्का बिल दे रहे हैं और न ही जीएसटी बिल। इसके बजाय, वे हाथ से लिखे लोकल कागजों को बिल के रूप में थमा दे रहे हैं। बीज के बदले मोटी रकम वसूल की जा रही है। कुछ दुकानदारों ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि उनके और धान कंपनियों के सुपरवाइजरों के बीच "कमीशन" का खेल चलता है, जिसमें कथित तौर पर संबंधित विभाग भी शामिल है। ऐसे में अगर फसल खराब हो जाती है या बीज से उपज नहीं होती, तो किसानों के पास उपभोक्ता फोरम में शिकायत का विकल्प भी नहीं रहता, क्योंकि उनके पास खरीद का कोई वैध दस्तावेज या बिल नहीं होता। यह साफ है कि कुछ दुकानदार अल्प लाभ के लिए किसानों की जिंदगी भर की पूंजी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
सवाल यह है कि कृषि विभाग इस खुले भ्रष्टाचार और ठगी के खेल को क्यों नजरअंदाज कर रहा है? जिले भर में अवैध दुकानों और गुणवत्ताहीन बीजों की बिक्री पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। किसानों का कहना है कि विभाग की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण ही यह धंधा फल-फूल रहा है। किसानों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि कृषि विभाग अवैध दुकानों पर तुरंत कार्रवाई करे, बीजों की गुणवत्ता की जांच करे और दुकानदारों को पक्का बिल देने के लिए बाध्य करे। साथ ही, किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए, ताकि वे ठगी से बच सकें और सही बीज का चयन कर सकें।
अगर जल्द ही इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो सूरजपुर जिले के किसानों का भरोसा न केवल हाईब्रिड बीजों से, बल्कि कृषि विभाग और सरकार की योजनाओं से भी उठ सकता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन के सपने को साकार करने के लिए भ्रष्टाचार पर लगाम और पारदर्शिता जरूरी है, वरना यह लापरवाही किसानों के भविष्य को अंधेरे में धकेल देगी।