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प्रेमनगर पुलिस पर रिश्वत लेने का आरोप, वृद्ध महिलाओं से 3 लाख की ठगी की शिकायत

by Admin on 2024-11-22 06:18:21
Last updated by admin on 2025-06-17 08:46:13

प्रेमनगर पुलिस पर रिश्वत लेने का आरोप, वृद्ध महिलाओं से 3 लाख की ठगी की शिकायत

पुलिस की कार्यशैली को लेकर आम जन में पुलिस प्रशासन के प्रति आक्रोश है !

- एसपी, आईजी, डीजीपी से हुई शिकायत, एएसआई वीरेंदर यादव, प्रधान आरक्षक दिलेश्वर सिंह ने मामले रिश्वत लेकर किया लीपापोती, वृद्ध का बयान बदला, फर्जी दस्तख़त मारा, बताया आपसी मामला


चंद्र प्रकाश साहू 

सुरजपुर/ प्रेमनगर। जिले के नए पुलिस कप्तान पुलिस की बेहतर छवि को लेकर कार्य करते हुए दिख रहे है। किंतु प्रेमनगर थाना क्षेत्र की पुलिस अपने उच्च अधिकारी को भ्रमित कर रहे है। पुलिस कमीशन खोरी में इस कदर व्यस्त है कि किसी मामले में जांच के दौरान रिश्वत किधर से मिले ये ही पहले सोचते है। दो वृद्ध महिला ने 6 माह पूर्व पुलिस को ठगी के मामले में शिकायत देती है। 6 माह से अधिक समय तक पुलिस जांच करती है। जांच में जो बयान महिला ने दिया ही नहीं वो बयान संलग्न करते है। बल्कि आरोपी से लेन देन कर फर्जी बयान लिख कर फर्जी दस्तखत कर उच्च अधिकारी को भेजते है। जिस पर उच्च अधिकारी द्वारा इनके अधकचरे जांच को अपूर्वल दे दिया जाता है। जिससे क्षुब्ध होकर वृद्ध महिलाओ ने बीते दिनों एसपी कार्यालय में से लेकर, आईजी, डीजीपी को लिखित शिकायत देकर पुनः जांच की मांग की है। गलत विवेचना करने वाले पुलिस कर्मियों, अफसरों पर कार्यवाही की मांग की है।

- पुलिस ने लिया लिखित में बयान, अफसरों को दिए टाइप किया बयान, दस्तखत भी मारे फर्जी

इसी कड़ी में प्रेमनगर पुलिस थाना के अंतर्गत पुलिस चौकी तारा क्षेत्र के ग्राम तारा की दो वृद्ध महिला आवेदिका प्रेमा बाई, फुल बाई पिता लाल देव उम्र 75 वर्ष, दोनों बहन है, इन्होंने प्रेमनगर पुलिस एसडीओपी कार्यालय में 28 फरवरी 2024 को लिखित आवेदन दिया था. वृद्ध महिलाओं ने  अनावेदक मो. हसैन खान उर्फ नान दाऊ, निवासी तारा के विरुद्ध शिकायत देकर बैंक पास बुक, एटीएम खुद रखने एटीएम कार्ड से बगैर सूचना के पैसे निकालने ठगी करने का गम्भीर आरोप लगाई थी, आवेदिका अपने आवेदन में बैंक स्टेटमेंट वर्ष 2020 तक संलग्न किया था. साथ ही आवेदन आनलाइन के माध्यम से शासन के अन्य पोर्टल में किया गया था.

- पुलिस ने आरोपी से रिश्वत लेकर बताया आपसी समझौता

आवेदिका ने अपने आवेदन में बताया कि 700000 (सात लाख) रूपये दोनों बहनों को मिला था, जिसमे से बैंक से 300000 (तिन लाख) रूपये निकाल कर आपस में बॉट लिए है, कोर्ट कचहरी के चक्कर में लगने वाले खर्च के लिए 100000 (एक लाख) रूपये पूर्व सरपंच पति चन्द्र भान सिंह से आनावेदक मोहम्मद हुसेन उर्फ नान दाऊ लिया था जिसके सम्बन्ध में हमे बताया था, जिसे बाद में हमारे संयुक्त खाता से ट्रांसफर कर कर दिया गया है. जिसके सम्बन्ध में जानकरी लगा था, हमारे बैंकपास बुक, एटीएम कार्ड की जानकारी हम दोनों बहनों के पास नही थी, हमारे बैंक खाता शेष राशि 300000 (तिन लाख) रुपये को मो. हुसेन उर्फ नान दाऊ एटीएम कार्ड के माध्यम अन्य राज्य सहित अन्य जिलों से राशी निकाला है, इसकी जानकारी बैंक स्टेटमेंट से हमें पता चला है, बैंक में खाता की जानकारी तारा में निवासरत श्याम बहादुर सा उफ बबलू के मो. नम्बर से बैंक खाता लिंक था. इस सम्बन्ध में शिकायत पत्र देने के 4.5 माह पूर्व पुलिस चौकी तारा में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक वीरेंदर यादव, प्रधान आरक्षका दिलेश्वर सिंह के दवारा पुलिस चौकी तारा में बलाकर ब्यान देने की बात कहा गया था, आवदिका दोनों बहन थाना में गये जहां बयांन नही हुआ है। जिसके बाद मेरे और दोनो बहने और परिजन के सामने में दो दिन तक पुलिस पेन कागज लेकर आए और लिखित में ब्यान दर्ज किया है। हमने वस्तु स्थिति बताते गई, पुलिस लिखते गये, जिसके बाद मुझे और परिजन के सामने में पढ़ कर बताया है और हम दस्तखत किये थे।

- ग्राम तारा निवासी मो. हुसैन उर्फ नानदाऊ के विरुद्ध की थी 3 लाख रुपए बगैर सूचना के एटीएम से निकाला था राशि

सूत्रों के हवाले से पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन में लगाये गये दस्तावेज आवेदिका द्वारा दिए गये ब्यान नही है, विवेचक द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए दस्तावेज में आवेदिका का ब्यान नही है, विवेचक द्वारा लगाये गये ब्यान में फर्जी दस्तखत किया गया है. साथ ही पुलिस अधीक्षक सूरजपुर के द्वारा जन शिकायत निवारण प्रकोष्ट महानदी भवन में दिए गये जाँच प्रतिवेदन में भी आवेदिका के संयुक्त बैंक खाता में 89579 रूपये होना लेख किया गया है. जबकि आवेदिका के बैंक खाता में कुल 73 रुपये है. जाँच अधिकारी द्वारा आनावेदक से पैसे लेकर अपने मन गडंग तरीके से आपसी समझौता बताया गया है और फेना 155 की कार्यवाही कर न्ययालय में भेजा गया है. आवेदिका दोनों बहन बुजुर्ग है. आने जाने सक्षम नही है, हमेशा ही स्वास्थ्य खराब रहता है, जिसके बाद भी पुलिस द्वारा लापरवाही बरतते हुए 6 माह से अधिक समय जाँच करने में लगा दिए है।

- विवेचना करने वाले एएसआई वीरेंद्र यादव, मुंशी दिलेश्वर सिंह पर कार्यवाही की मांग

वृद्ध महिलाओं ने इस मामले की डीएसपी स्तर के अधिकारी से सुक्ष्मता से जाँच करने और अनावेदक के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज करने साथ विवेचना में फर्जी दस्तावेज लगाने गलत तरीके से जाँच करने, अपने उच्च अधिकारी को भर्मित करने वाले सहायक उप निरीक्षक वीरेंदर यादव, प्रधान आरक्षक दिलेश्वर सिंह पर कड़ी कार्यवाही अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग की है। 

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